रुद्र

  • Updated: Oct 01 2023 06:53 PM
रुद्र

रुद्र वेदों में एक शक्तिशाली देवता माने गये हैं। ऋग्वेद में रुद्र की स्तुति 'बलवानों में सबसे अधिक बलवान' कहकर की गयी है। यजुर्वेद का रुद्राध्याय, रुद्र देवता को समर्पित है। इसके अन्तर्गत आया हुआ मंत्र शैव सम्प्रदाय में भी बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। शिव के रूपों या अंशों को ही रूद्र कहा गया है। वेदों में मुख्यतः एक ही रुद्र की बात कही गयी हैं परन्तु पुराणों में एकादश रुद्र की मान्यता अत्यधिक प्रधान हो गयी है। एकादश रुद्र (ग्यारह रुद्र) शिव के अनुयायी हैं जो हिन्दुओं के 33 देवताओं में से प्रमुख हैं। वामन पुराण में रुद्रों को कश्यप और सुरभि का पुत्र बताया गया है और भगवान शंकर के ही अवतार बताए जाते हैं।

रुद्रावतार भगवान् शिव (रूद्र) के अवतारों को कहा जाता है। शिव के ग्यारह रुद्रों का वर्णन अलग अलग पुराणों में मिलता है | परन्तु कहीं भी एकरूपता नहीं है, सभी पुराणों में नामों में भिन्नता है | फिर भी वो ग्यारह नाम जिन्हें 33 कोटि देवी देवताओं में मान्यता प्राप्त है शिव के ग्यारह रूद्र अवतार- कपाली, पिंगल, भीम,विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शम्भू, चण्ड तथा भव है।

इन अवतारों के अतिरिक्त शिव के दुर्वासा, हनुमान, महेश,वृषभ,पिप्पलाद, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, अवधूतेश्वर, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, ब्रह्मचारी, सुनटनतर्क, द्विज, अश्वत्थामा, किरात और नतेश्वर आदि अवतारों का 'शिव पुराण' में उल्लेख मिलता है।

शिवपुराण के अनुसार एकादश रुद्रों को शिव के एक अवतार के रूप में वर्णन है। जिन्हे ऋषि कश्यप जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने कश्यप जी की पत्नी सुरभी के गर्भ से ग्यारह रुद्रों के रूप में जन्म लिया। जिनके नाम इस प्रकार हैं |

1. कपाली 2. पिंगल 3. भीम 4. विरूपाक्ष 5. विलोहित 6. शास्ता 7. अजपाद 8. अहिर्बुध्न्य 9. शम्भु 10. चण्ड 11. भव

महाभारत के आदिपर्व में जिन एकादश रुद्र के नाम आये है, वो इस प्रकार हैं

1.मृगव्याध 2. सर्प 3. निऋति 4.अजैकपाद 5.अहिर्बुध्न्य 6.पिनाकी 7.दहन 8.ईश्वर 9.कपाली 10.स्थाणु 11.भव

मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, स्कन्दपुराण आदि पुराणों में समान रूप से एकादश रुद्रों के नाम मिलते हैं जो इस प्रकार हैं |

1.अजैकपाद 2. अहिर्बुध्न्य 3. विरूपाक्ष 4.रैवत 5.हर 6.बहुरूप 7.त्र्यम्बक 8.सावित्र 9.जयन्त 10.पिनाकी 11.अपराजित