ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
मन्त्र का अर्थ:
हम जीवन में दुखों के नाशक, खुशियों के रूप में, सर्वश्रेष्ठ, उज्ज्वल, पापों परास्त करने वाले परम पिता परमेश्वर ईश्वर के रूप में हमारी आंतरिक आत्मा में वास करें । प्रभु अपने आशीर्वाद से हमारी बुद्धि को सही मार्ग पर प्रेरित करे।
मंत्र जप के लाभ:
सप्त बार नियमित रूप से मन्त्र 'गायत्री मंत्र' का जाप करने से किसी भी नकारात्मक शक्तियों प्रभाव नहीं होता। इसके जप से कई लाभ होते हैं, व्यक्ति तेजी से विकसित होता है और मानसिक भ्रम से मुक्ति प्राप्त करता है। यह असंतुलित योग्यता और बुद्धिमत्ता, जैसे स्मृति शक्ति को भी बढ़ाता है।
गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, इन चौबीस अक्षरों का संकेत होता है कि ये चौबीस शक्तियों और सिद्धियों के प्रतीक हैं। इसी कारण संतों ने सभी प्रकार के मंत्रों को पूरा करने के लिए गायत्री मंत्र का उपयोग करने की सिफारिश की है।
मार्गशीर्ष अमावस्या, अन्नपूर्णा व्रत
सीमा सुरक्षा बल दिवस (BSF डे)
🌞 रविवार, 1 दिसंबर 2024
विक्रम संवत् 2081