श्री कृष्ण के विवाह और उनकी पत्नियां

  • Updated: Sep 12 2023 08:07 PM
श्री कृष्ण के विवाह और उनकी पत्नियां

श्री कृष्ण की पहली पत्नी रुक्मणि थी | रुक्मणि विदर्भ के महाराज भीष्मक की पुत्री थी | रुक्मणि बचपन से ही सुंदर और सती थी और उन्होंने श्री कृष्ण को अपना पति मान लिया था | श्री कृष्ण ने भी रुक्मणि के बारे में सुन रखा था और उनके मत अनुसार रुक्मणि उनकी पत्नी बनने योग्य थी | परन्तु रुक्मणि का विवाह उनके भाई रुक्मी ने शिशुपाल से तय कर दिया था जो श्री कृष्ण की बुआ का पुत्र था और श्री कृष्ण को अपना परम शत्रु समझता था | रुक्मणि ने विवाह से पूर्व श्री कृष्ण को अपने एक दूत के हाथ पात्र भेजा जिसमे उन्होंने श्री कृष्ण को उनका हरण करने का आग्रह किया |

श्री कृष्ण ने रुक्मणि की बात मानते हुए उनका हरण करने के लिए द्वारका से विदर्भ की और प्रस्थान किया | जब रुक्मणि जी माता दुर्गा के मंदिर में पूजा करने के लिए आयी तब श्री कृष्ण ने रुक्मणि को हर लिया और द्वारका के लिए चल दिए | रुक्मणि और शिशुपाल के विवाह में उपस्थित राजाओं ने श्री कृष्ण को रोकने का प्रयत्न किया परन्तु कोई भी श्री कृष्ण को हरा नहीं पाया और श्री कृष्ण रुक्मणि के साथ द्वारका पहुंच गए | जहाँ विवाह के सारे रीती रिवाज संपन्न हुए |

रुक्मणि के बाद श्री कृष्ण का विवाह जामवंती और सत्यभामा से हुआ था | जामवंती रीछ राज जामवंत की पुत्री थी और सत्यभामा द्वारका के सामंत सत्राजीत की पुत्री थी | सत्राजित के पास सूर्यदेव की दी हुयी स्यंतक नामक मणि थी जो दिन में सत्रह बार सोना देती थी | एक बार श्री कृष्ण ने सत्राजित से मणि मांगी तो उसने मणि देने से मना कर दिया था | फिर एक दिन सत्राजित का छोटा भाई मणि को गले में लटका कर जंगल में शिकार के गया और वन में वनराज सिंह ने मार दिया और मणि को अपने पंजे में दबा लिया | तब जामवंत जी का सामना उस सिंह से हुआ जो स्यन्तकमणि को अपने पंजे में दबा रखा था। तब जामवंतजी वनराज सिंह को प्रताड़ित करके भगा दिया। और सयमंनतक मणि को लेकर  अपनी गुफा के अंदर आते हैं। तथा मणि अपनी पुत्री जामवंती को दे देते हैं। जामवंती उसे खिलौना समझकर खेलने लगी।

जब सत्राजित का छोटा भाई कुछ दिन तक नहीं लौटा तो उसने ये अफवाह फैला दी के श्री कृष्ण ने मणि प्राप्त करने के लिए उसका वध कर दिया | जब श्री कृष्ण को इस बात का पता चला तब वो सत्रजीत के भाई को वन में खोजने के लिए गए और पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए गुफा तक पहुंच गए वहां उन्होंने जामवंत से द्वंद युद्ध किया | जब जामवंत ने श्री कृष्ण को पहचान लिया तब उन्होंने हार मान ली और अपनी पुत्री जामवंती का विवाह उनके साथ किया और उपहार स्वरुप स्यन्तक मणि उनको देदीइस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने अपने राजदरबार में सत्राजीत को बुलाकर सयमंनतकमणि उसे देते हैं। और सारा वृत्तांत कह सुनाया।

सारा वृतांत जानकर सत्राजित भगवान से कृष्ण से प्रार्थना करने लगा कि प्रभु मैं बहुत लज्जित हूं। मैंने बिना सोचे ही आप पर झूठा आरोप लगा दिया। आप से मेरी एक विनती है। आप कृपा करके मेरी विनती को स्वीकार कीजिए। प्रभु मैं अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह आपसे करना चाहता हूं। जब इस प्रकार सत्राजीत ने अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह श्री कृष्ण के साथ करने की इच्छा व्यक्त की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसमें अपनी सहमति प्रदान की। तब वेदोक्त रीति से शुभ समय शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा जी का विवाह संपन्न होता है।

श्री कृष्ण का एक और  विवाह यमुना नदी से प्रकट कालिंदी से हुआ था | लाक्षागृह की घटना के बाद अर्जुन वन में युद्धाभ्यास के लिए जा रहा था तब श्री कृष्ण भी उनके साथ गए | शिकार के कारण अर्जुन और श्री कृष्ण को थकान और प्यास का अनुभव हुआ और वो यमुना के तट पर गए | तदोउपरांत उन दोनों वहीँ आराम करने लगे | तभी वहां एक विवाह योग्य सुंदर स्त्री भ्रमण करती हुयी आयी और श्री कृष्ण ने अर्जुन को उसका परिचय जानने के लिए भेजा | जब अर्जुन ने उस स्री से पुछा तब उन्होंने बताया के -" मेरा नाम कालिंदी है और मैं यमुना के जल में निवास करती हूँ | मैंने सपथ ली है के जब तक मैं श्री कृष्ण को प्राप्त नहीं कर लेती तब तक मैं जल में ही निवास करुँगी" | अर्जुन ने कालिंदी का यह सन्देश श्री कृष्ण को बताया और श्री कृष्ण ने तत्काल कालिंदी को पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया | श्री कृष्ण के साथ कालिंदी भी द्वारका आयीं | तदनन्तर उन्होंने बड़े ठाट बाट से कालिंदी से विवाह किया

अवन्तिपुर (उज्जैन) में विंध और अनुविन्द्य नाम के राजा थे | उनकी एक बहन जिसका नाम मित्रविन्दा था, वह अत्यंत गुणी और सुन्दर कन्या थी | उसका स्वयंवर होने वाला था किन्तु उसकी इच्छा श्री कृष्ण की पति रूप में पाने की थी | उसके स्वयंवर में श्री कृष्ण भी उपस्थित थे और अन्य सभी राजाओं की उपस्थिति में श्री कृष्ण मित्रविन्दा को बल पूर्वक हरा ले गए और सभी राजा देखते रह गए |

उसके बाद श्री कृष्ण ने कौशल के राजा की कन्या से विवाह किया | उनकी पुत्री का नाम सत्या था और राजा अपनी पुत्री का विवाह उसी से करेंगे जो राजाओं के सात बैलों को परास्त कर देगा | वो बैल अत्यंत शक्तिशाली थे और अनेक राजा इस प्रयास में विफल हो चुके थे | जब श्री कृष्ण को इस बात का पता चल तब वो कौशल राज्य गए | श्री कृष्ण ने सात बैलों को नियंत्रित करने के लिए अपने आप को सात रूपों में विभाजित करके बैलों को नियंत्रित करने लगे | सातों कृष्ण ने एक एक बैल को पकड़ कर नथ लिया (नथना अर्थात लगाम लगाना) | इस प्रकार सातों बैलों को हरा कर श्री कृष्ण ने सत्या के साथ विवाह किया |

इसके बाद श्री कृष्ण ने केकय नरेश की कन्या भद्रा से और मद्रास नरेश की कन्या लक्ष्मणा से भी स्वयंवर से बलपूर्वक हरण करके विवाह किया था |

श्री कृष्ण की इनसे अलग 16 हजार 100 पत्नियां और थी जिन्हे भौमासुर नामक राक्षस की कैद से छुड़ाया था | इस प्रकार श्री कृष्ण की 16 हजार 108 पत्नियां थी |