उज्जैन भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर और प्राचीन तीर्थ है जो क्षिप्रा नदी या शिप्रा नदी के किनारे पर बसा है। यह एक अत्यन्त प्राचीन शहर है। उज्जैन को महाकवि कालिदास नगरी भी कहते हैं | यहाँ हर 12 वर्षों में महाकुम्भ का मेला लगता है | भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकालेश्वर भी इस नगरी में स्थित है। उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है।
उज्जैन को द्वापर युग में अवंतिका के नाम से जाना जाता था और यहीं पर संदीपन ऋषि का आश्रम था जहाँ पर श्री कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम जी ने शिक्षा ग्रहण की थी | उज्जैन ही कालिदास जी की भी जन्म भूमि है | उज्जैन मंदिरों की भी नगरी है |
उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल
महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है | स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की महत्ता अत्यन्त पुण्यदायी है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है के इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है |
भगवान शिव काल से परे हैं, वे आदि और अनंत हैं, वे महाकाल हैं जिन लोगों को अकाल मृत्यु का भय रहता है, उनको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहिए | महाकाल जिस पर प्रसन्न हो जाये उसका काल भी कुछ नहीं कर सकता और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिल जाती है |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा का वर्णन शिव पुराण में इस प्रकार है उज्जयिनी में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था जो शिव भक्त भी था | उसकी मित्रता एक शिवगण मणिभद्र से थी | राजा को मणिभद्र से एक चिंतामणि मिली जिससे उसकी तरक्की होने लगी और प्रभाव चरों तरफ फैलने लगा यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी | दुसरे राज्य के राजाओं को जब इस बात का पता लगा तो उन्होंने मणि पाने के लिए राजा पर आक्रमण कर दिया और तब संकट में राजा ने भगवान शिव का ध्यान किया और सहायता मांगी तब भगवान शिव ने दर्शन दिए और उज्जैन में स्वयंभू शिवलिंग रूप में सदा रहने का निर्णय लिया | तब से महाकाल को ही उज्जैन का राजा मन जाता है |
श्री बडे गणेश मंदिर
श्री महाकालेश्वर मंदिर के निकट ही हरिसिद्धि मार्ग पर बड़े गणेश जी का मंदिर है  जहाँ पर गणेश जी की एक भव्य और कलापूर्ण मूर्ति प्रतिष्ठित है। पद्मविभूषण पं॰ सूर्यनारायण व्यास के पिता, विख्यात विद्वान स्व. पं॰ नारायण जी व्यास ने इस मूर्ति का निर्माण किया था। मंदिर परिसर में इस मूर्ति के साथ साथ गणेश जी, सप्तधातु की पंचमुखी हनुमान प्रतिमा, नवग्रह मंदिर और कृष्ण यशोदा आदि की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं। यहाँ गणेश जी की प्रतिमा बहुत विशाल होने के कारण ही इसे बड़ा गणेश के नाम से पूजते हैं। गणेश जी की मूर्ति को बनाने में पवित्र सात नदियों के जल साथ सप्त पूरियों के मिट्टी को प्रयोग में लाया गया था। यहाँ गणेश जी को महिलायें अपने भाई के रूप में मानती हैं, एवं रक्षा बंधन के पावन पर्व पर राखी भी बांधती हैं।
मंगलनाथ मंदिर
पुराणों के ऐसा माना जाता है के मंगल गृह की जननी भी उज्जैन नगरी ही है जिसके कारण जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल भारी होता है वो उज्जैन में ग्रह शांति का पाठ कराते हैं |उज्जैन इनका जन्मस्थान होने के कारण यहाँ की पूजा को खास महत्व दिया जाता है। ऐसी मान्यता है के यह मंदिर सदियों पुराना है। सिंधिया राजघराने में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया था। उज्जैन शहर के राजा महाकाल को ही मन जाता है इसलिए यहाँ मंगलनाथ भगवान की शिवरूपी प्रतिमा का पूजन किया जाता है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं का भारी भीड़ लगी रहती है।
काल भैरव
काल भैरव मंदिर आज के उज्जैन नगर में स्थित अवंतिका नगरी के क्षेत्र में स्थित है। यह स्थल शिव के उपासकों के कापालिक सम्प्रदाय से संबंधित है। मंदिर के अंदर काल भैरव की विशाल प्रतिमा है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा भद्रसेन ने कराया था। पुराणों में वर्णित अष्ट भैरव में काल भैरव का स्थल है।
गढकालिका देवी
गढकालिका देवी का यह मंदिर भी प्राचीन अवंतिका नगरी क्षेत्र में है। कवि कालिदास गढकालिका देवी के उपासक थे। इस प्राचीन मंदिर की स्थापना गुर्जर सम्राट नागभट्ट द्वारा कराने का उल्लैख मिलता है। कालिका माँ के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है, फिर भी ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था |
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🪐 शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
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