वानरराज बाली वध
श्री राम ने बाली को छुपकर क्यों मारा था और क्या एक मित्र के कहने पर उसके भाई का वध करना क्या धर्मानुसार था ?
आज के युग में बहुत से जिज्ञासुओं के मन में ये सवाल आता है। क्या श्री राम ने सच में धर्म के अनुरूप की बलि का वध किया था या उन्होंने बलि के वध के लिए छल का सहारा लिया था? इसके लिए हमें रामचरितमानस में किष्किन्धा काण्ड का अध्यन करना चाहिए |
जब सुग्रीव श्री राम के कहने पर बलि को युद्ध के लिए ललकारता है तब बलि की पत्नी रानी तारा देवी बलि को सचेत करती हैं के सुग्रीव के साथ श्री दशरथ जी के पुत्र श्री राम और लक्ष्मण हैं जो काल को भी जीत सकते हैं और जिनके बल की कोई सीमा नहीं है। बलि ने रानी तारा की बातें सुनकर कहा - श्री राम, श्री रघुनाथ तो समदर्शी (सभी को सामान दृष्टि से देखने वाले) हैं तो वो शायद ही मुझे मारे और अगर उन्होंने मुझे मारा तो भी मैं परमपद को प्राप्त करूँगा। इतना कहकर बलि सुग्रीव से युद्ध करने चला गया। जब सुग्रीव हरने लगे और बलि जितने लगा तब प्रभु श्री राम ने अपना बाण चला कर बलि को गिरा दिया। जब बलि धरती पर गिर पड़ा तब भगवान श्री राम उसके पास आये और बलि ने उनके चरणों में प्रणाम किया और उनसे पुछा - "हे गुसाईं ! आपने धर्म की रक्षा करने हेतु अवतार लिया और मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्यों मारा? आपने मुझे किस दोष का दण्ड दिया है ?
तब श्री राम ने बलि को कहा था - हे मूर्ख ! छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और कन्या ये सभी समान होती हैं | इन पर बुरी दृष्टि डालने वाले को मारने में कोई पाप या अधर्म नहीं होता और इस समय पृथ्वी पर इक्ष्वांकु वंश का राज्य है और उसी वंश के महाराज भरत के प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने तुम्हें दण्ड दिया है।
एक और मत के अनुसार बलि को छिप कर मारने में भी कोई पाप नहीं है क्यूंकि श्री राम क्षत्रिय थे और शिकार करना उनके धर्म के अनुरूप ही था|
इसलिए बलि को छुप कर मारने से श्री राम ने न किसी छल का सहारा लिया और ना ही कोई धर्म विरुद्ध कार्य किया था।
बोलिये जय सिया राम।
नवरात्रि (माँ चंद्रघंटा पूजा), सिन्दूर तृतीया
रानी दुर्गावती जयंती, कृपालु जी महाराज जयंती
🪐 शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
विक्रम संवत् 2081