|| गणेश मंत्र ||
गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
हे गज के मुख वाले श्री गणेश, आप भूतों और गणों के स्वामी हैं और ये सभी आपकी सेवा करते हैं | आप कपिथ (कैथा) और जम्बू (जामुन) का भक्षण करते हैं अर्थात दोनों ही फल आपको प्रिय हैं |
आप उमा के सुत हैं यानि आप माता पार्वती के पुत्र हैं आप शोक और दुखों का नाश करने वाले हैं | हे विघ्नों को हरने वाले ईश्वर आपके कमल के समान चरणों को बार बार प्रणाम करते हैं |
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
हे | आप वक्रतुण्ड अर्थात घुमावदार सूंड वाले, महाकाय अर्थात विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली और और जो अपने ज्ञान के प्रकाश से सभी दिशाओं को प्रकाशवान करते हैं |
हे विघ्नहरता, मेरे प्रभु आप हमेशा मेरे सारे कार्यों को बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें) और अपना आशीर्वाद दे |
मासिक शिवरात्रि, हनुमान पूजा, काली चौदस
विश्व बचत दिवस, दयानंद सरस्वती पुण्यतिथि
🌝 बुधवार, 30 अक्टूबर 2024
विक्रम संवत् 2081