सनातन धर्म क्या है?
सनातन का शाब्दिक अर्थ होता है शाश्वत, अनादि सत्य | अर्थात एक शाश्वत सत्य जो जीवन के मूल तत्वों के साथ मनुष्य को जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है | जीवन के शाश्वत मूल तत्व हैं - अहिंसा, दया, क्षमा, जप, तप, दान, यम और नियम |
उपनिषद बृहदारण्यक में लिखा है - अहम् ब्रह्मास्मि एवं तत्त्वमसि |
अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ और तुम भी ब्रह्म हो... ये सम्पूर्ण जगत ब्रह्ममय है ब्रह्म पूर्ण है और जगत भी पूर्ण है पूर्ण जगत की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुयी है पूर्ण जगत की उत्पत्ति होने पर भी ब्रह्म की पूर्णता में न्यूनता नहीं आयी वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है और यही सनातन धर्म सत्य है जो तत्व सदा सर्वदा निर्लपी निरंजन और सदैव स्वरुप में स्थिर रहता है उसे सनातन शाश्वत सत्य कहते हैं वेदों का ब्रह्म और गीता का स्थितप्रज्ञ सत्य है | जो शाश्वत और सत्य है वही सनातन है | जड़, प्राण, मन, आत्मा और ब्रह्म शाश्वत सत्य की श्रेणी में आते हैं | जड़ तत्व में आकाश, वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि जिन्हे हम देख सकते है और ये अपना रूप बदल सकते है मगर समाप्त नहीं होते हैं | ये शाश्वत हैं |
सनातन धर्म कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जो आपको बताए कि आप इस पर विश्वास कीजिए, वर्ना आप मर जाएंगे। यह इस तरह की संस्कृति नहीं है। यह आपको कुछ ऐसा बताता है, जो आपके मन में सवाल उठाए, ऐसे सवाल जिनके बारे में शायद आपने कभी कल्पना भी नहीं की हो।
धर्म का शाब्दिक अर्थ नियम होता है | और जीवन जीने के शाश्वत नियम को सनातन धर्म कहते हैं
नवरात्रि (माँ चंद्रघंटा पूजा), सिन्दूर तृतीया
रानी दुर्गावती जयंती, कृपालु जी महाराज जयंती
🪐 शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
विक्रम संवत् 2081