हिन्दू धर्म में शक्तिपीठों का बहुत महत्त्व है और इनका महत्त्व आध्यात्मिकता में और भी बढ़ जाता है | धार्मिक महत्त्व तो स्पष्ट तौर पे महादेव और देवी सती से सम्भन्दित है और आध्यात्मिक महत्त्व को समझने के लिए शक्तिपीठ का अर्थ जानना चाहिए | शक्ति का अर्थ होता है ऊर्जा और पीठ का अर्थ वेदी (बैठने का विशेष आसन) मतलब  ऐसा स्थान जहाँ पर ऊर्जा का वास होता है और ऐसी जगहों पर ध्यान लगाने से सकारत्मक शक्तियों का समावेश होता है | शक्ति पीठ ऐसे स्थान है जहां लोगों ने लंबे समय तक ध्यान किया है और वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का आभास किया है। इसी प्रकार शक्ति पीठ का निर्माण हुआ।
शक्तिपीठों का निर्माण
पुराणों में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है | इन शक्तिपीठों का निर्माण देवी सती के शव के विच्छेदन की वजह से हुआ था | इसकी कथा इस प्रकार है - दक्ष प्रजापति ने तप करके आदि शक्ति को प्रसन्न करके उनसे वरदान माँगा के आदिशक्ति उसकी पुत्री के रूप में जन्म लें | आदि शक्ति ने उन्हें वरदान दे दिया और देवी सती के रूप में दक्ष के घर जन्म लिया | समय आने पर देवी सती का विवाह महादेव से हुआ | सती के विवाह के बाद दक्ष प्रजापति ने एक महायज्ञ का आयोजन किया और सभी देवी देवताओं को ब्रह्मा विष्णु सहित आमंत्रित किया परन्तु महादेव और सती को आमंत्रित नहीं किया |
देवी सती अपने पिता द्वारा इस महाआयोजन में उपस्थित होना चाहती थी | महादेव ने देवी सती को बहुत समझाया परन्तु देवी ने एक न सुनी और अपने पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में गयी | वहां पहुंच कर देवी ने देखा के न उनका स्वागत किया गया और न महदेव के लिया यज्ञ में आसन तक की व्यवस्था थी और दक्ष ने महादेव का अपमान भी किया | ये देखकर देवी सती को बहुत क्रोध आया और महादेव के अपमान सहने में असमर्थ होते हुए प्राण त्याग दिए और अग्नि में प्रविष्ट हो गयी |
सती के आत्मदाह के बाद शोक से ग्रस्त महादेव ने तांडव किया कर शिव के क्रोधावतार वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया कर प्रजापति दक्ष का सर धड़ से अलग कर दिया | देवी सती के शव को उठा कर महादेव क्रोध में आकर विनाशकारी नृत्य करते हुए  ब्रह्माण्ड में घूमने लगे | तदुपरांत देवताओं के आग्रह करने पर श्री विष्णु भगवान को हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से देवी के शरीर का विच्छेदन कर उसे 51 हिस्सों में काट डाला | देवी सती के शरीर के हिस्से पृथ्वी पर जहाँ पर भी गिरे उन्होंने शक्तिपिंड का रूप ले लिया | जहाँ जहाँ ये शक्तिपिंड हैं वही स्थान शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हैं |
ये शक्तिपीठ भारतीय उपमहाद्वीप के अलग अलग जगहों पर स्थित है जिनमे से कुछ तो भारत से अलग देशों में स्थित हैं |शक्तिपीठों की सूची इस प्रकार है |
क्रम सं० |
शक्ति |
अंग या आभूषण |
स्थान |
भैरव |
1 |
कोट्टरी |
ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) |
हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान |
भीमलोचन |
2 |
महिष मर्दिनी |
आँख |
नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है। |
क्रोधीश |
3 |
सुनंदा |
नासिका |
सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर |
त्रयंबक |
4 |
महामाया |
गला |
अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीर |
त्रिसंध्येश्वर |
5 |
सिधिदा (अंबिका) |
जीभ |
ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश |
उन्मत्त भैरव |
6 |
त्रिपुरमालिनी |
बांया वक्ष |
जालंधर, पंजाब  |
भीषण |
7 |
अम्बाजी |
हृदय |
अम्बाजी मंदिर, गुजरात |
बटुक भैरव |
8 |
महाशिरा |
दोनों घुटने |
गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिर |
कपाली |
9 |
दाक्षायनी |
दायां हाथ |
मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर |
अमर |
10 |
विमला |
नाभि |
बिराज, उत्कल, उड़ीसा |
जगन्नाथ |
11 |
गंडकी चंडी |
मस्तक |
गण्डकी नदी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर |
चक्रपाणि |
12 |
देवी बाहुला |
बायां हाथ |
बाहुल, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि॰मी॰ |
भीरुक |
13 |
मंगल चंद्रिका |
दायीं कलाई |
उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि॰मी॰ |
कपिलांबर |
14 |
त्रिपुर सुंदरी |
दायां पैर |
माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाँव, उदरपुर, त्रिपुरा |
त्रिपुरेश |
15 |
भवानी |
दांयी भुजा |
छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश |
चंद्रशेखर |
16 |
भ्रामरी |
बायां पैर |
त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल |
अंबर |
17 |
कामाख्या |
योनि |
कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम |
उमानंद |
18 |
जुगाड्या |
दायें पैर का बड़ा अंगूठा |
जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल |
क्षीर खंडक |
19 |
कालिका |
दायें पैर का अंगूठा |
कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता |
नकुलीश |
20 |
ललिता |
हाथ की अंगुली |
प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
भव |
21 |
जयंती |
बायीं जंघा |
जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश |
क्रमादीश्वर |
22 |
विमला |
मुकुट |
किरीट, किरीटकोण ग्राम, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि॰मी॰ दूर |
सांवर्त |
23 |
विशालाक्षी एवं मणिकर्णी |
मणिकर्णिका |
मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
काल भैरव |
24 |
श्रवणी |
पीठ |
कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु |
निमिष |
25 |
सावित्री |
एड़ी |
कुरुक्षेत्र, हरियाणा |
स्थाणु |
26 |
गायत्री |
दो पहुंचियां |
मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान |
सर्वानंद |
27 |
महालक्ष्मी |
गला |
श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश |
शंभरानंद |
28 |
देवगर्भ |
अस्थि |
कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल |
रुरु |
29 |
काली |
बायां नितंब |
कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेश |
असितांग |
30 |
नर्मदा |
दायां नितंब |
शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश |
भद्रसेन |
31 |
शिवानी |
दायां वक्ष |
रामगिरि, चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेश |
चंदा |
32 |
उमा |
केश गुच्छ/चूड़ामणि |
वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, निकट मथुरा, उत्तर प्रदेश |
भूतेश |
33 |
नारायणी |
ऊपरी दाड़ |
शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि॰मी॰ कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु |
संहार |
34 |
वाराही |
निचला दाड़ |
पंचसागर, अज्ञात |
महारुद्र |
35 |
अर्पण |
बायां पायल |
करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि॰मी॰ शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेश |
वामन |
36 |
श्री सुंदरी |
दायां पायल |
श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश |
सुंदरानंद |
37 |
कपालिनी (भीमरूप) |
बायीं एड़ी |
विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल |
शर्वानंद |
38 |
चंद्रभागा |
आमाशय |
प्रभास, 4 कि॰मी॰ वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात |
वक्रतुंड |
39 |
अवंति |
ऊपरी ओष्ठ |
भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश |
लंबकर्ण |
40 |
भ्रामरी |
ठोड़ी |
जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्र |
विकृताक्ष |
41 |
राकिनी/विश्वेश्वरी |
गाल |
सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश |
वत्सनाभ/ दंडपाणि |
42 |
अंबिका |
बायें पैर की अंगुली |
बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान |
अमृतेश्वर |
43 |
कुमारी |
दायां स्कंध |
रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगाल |
शिवा |
44 |
उमा |
बायां स्कंध |
मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा पर |
महोदर |
45 |
कलिका देवी |
पैर की हड्डी |
नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल |
योगेश |
46 |
जयदुर्गा |
दोनों कान |
कर्नाट, अज्ञात |
अभिरु |
47 |
महिषमर्दिनी |
भ्रूमध्य |
वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि॰मी॰ दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल |
वक्रनाथ |
48 |
यशोरेश्वरी |
हाथ एवं पैर |
यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश |
चंदा |
49 |
फुल्लरा |
ओष्ठ |
अट्टहास, 2 कि॰मी॰ लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल |
विश्वेश |
50 |
नंदिनी |
गले का हार |
नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल |
नंदिकेश्वर |
51 |
इंद्रक्षी |
पायल |
लंका, स्थान अज्ञात, |
राक्षसेश्वर |
नवरात्रि (माँ चंद्रघंटा पूजा), सिन्दूर तृतीया
रानी दुर्गावती जयंती, कृपालु जी महाराज जयंती
🪐 शनिवार, 5 अक्टूबर 2024
विक्रम संवत् 2081