महाकुंभ पर्व

  • Updated: Jul 06 2024 10:56 AM
महाकुंभ पर्व

महाकुंभ पर्व

महाकुंभ पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का एक महापर्व है, जो हर 12 वर्ष में एक बार आयोजित होता है। यह पर्व हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थस्थलों में से किसी एक पर आयोजित होता है - हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक। महाकुंभ का आयोजन विशेष रूप से पवित्र नदी के तट पर होता है, जिसे गंगा, यमुना, गोदावरी और क्षिप्रा कहा जाता है।

महाकुंभ का धार्मिक महत्व

महाकुंभ पर्व का धार्मिक महत्व अद्वितीय है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तब अमृत का कलश निकला। उस अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें अमृत की कुछ बूंदें चार स्थलों पर गिर गईं - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है और यहां स्नान करने से मोक्ष

की प्राप्ति मानी जाती है।

आयोजन और उत्सव

महाकुंभ पर्व का आयोजन अत्यंत व्यापक और भव्य होता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़े और तीर्थयात्री इस पर्व में शामिल होते हैं। पवित्र नदी में स्नान करना इस पर्व का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे 'स्नान पर्व' कहा जाता है। इसके अलावा, महाकुंभ में धार्मिक प्रवचन, यज्ञ, भजन-कीर्तन और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

प्रमुख स्नान तिथियाँ

महाकुंभ के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण स्नान तिथियाँ होती हैं, जिनमें मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, माघी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि शामिल हैं। इन तिथियों पर विशेष स्नान का महत्व होता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु इन तिथियों पर स्नान करने के लिए आते हैं।

महाकुंभ का सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

महाकुंभ केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के लोगों को एक मंच पर लाता है। यहाँ लोग एक-दूसरे की संस्कृतियों को जानने और समझने का अवसर प्राप्त करते हैं। महाकुंभ पर्व के दौरान होने वाले मेलों में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं, खान-पान, कला और हस्तशिल्प के स्टॉल लगाए जाते हैं, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।

समापन

महाकुंभ पर्व भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं का अद्वितीय संगम है। यह पर्व हमें हमारी प्राचीन धरोहर और धार्मिक आस्थाओं की याद दिलाता है। महाकुंभ का आयोजन केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय समाज के एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। इस पर्व में शामिल होकर लोग अपने जीवन को पवित्र और धन्य मानते हैं और अमृत कलश की पवित्रता को आत्मसात करते हैं

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