नटराज
नटराज, भगवान शिव का एक रूप है जिसमें वह सर्वोत्तम नर्तक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। नटराज शिव का स्वरूप उनके संपूर्ण काल और स्थान को दर्शाता है, और यह बताता है कि ब्रह्मांड में स्थित सभी जीवन, उनकी गति, और ब्रह्मांड से परे शून्य, सब कुछ एक शिव में ही निहित है। "नटराज" शब्द दो शब्दों, "नट" (कला) और "राज" (राजा), का सम्मिलन है, जिससे यह प्रकट होता है कि शिव कलाओं के राजा हैं।
नटराज शिव के दो प्रमुख स्वरूप हैं: पहला है उनका क्रोधकारी रौद्र तांडव, जिसे वे प्रलयकारी रूप में नृत्यरूप में करते हैं। दूसरा है आनंदप्रद आनंद तांडव। हालांकि, बहुत लोग तांडव शब्द को शिव के क्रोध का पर्याय मानते हैं, रौद्र तांडव और आनंद तांडव के माध्यम से वे अपनी विभिन्न भूमिकाओं को निभाते हैं।
नटराज शिव की प्रमुख मूर्ति में चार भुजाएं होती हैं, जो उनके सर्वशक्तिमान स्वरूप को दर्शाती हैं। उनके चारों ओर अग्नि के घेरे होते हैं, जो सृष्टि और संहार के प्रतीक हैं। एक पाँव से वह एक बौने को दबा रखते हैं, जो अज्ञान को प्रतिष्ठापित करता है, और दूसरा पाँव नृत्य मुद्रा में ऊपर की ओर उठा हुआ है, जिससे उनका नृत्य और कलाओं में समर्थन होता है।
उनके दाहिने हाथ में डमरु है, जो सृष्टि की ध्वनि को प्रतिष्ठापित करता है, और उनके बाये हाथ में अभय (या आशीर्वाद) मुद्रा में है, जो भक्तों को रक्षा करने का प्रतीक है। उनके चेहरे पर एक शांतिपूर्ण भगवान का भाव है, जो सभी जीवों को मोक्ष की दिशा में प्रेरित करता है। उनके पाँव के नीचे कुचला हुआ बौना अज्ञान का प्रतीक है, जिसे शिव नष्ट करते हैं।
इस रूप में नटराज शिव का तांडव नृत्य सृष्टि का संहार करते हैं और इसके माध्यम से वह ब्रह्मांड की सृष्टि, स्थिति, और संहार की नीति को प्रतिष्ठापित करते हैं।
मासिक शिवरात्रि, हनुमान पूजा, काली चौदस
विश्व बचत दिवस, दयानंद सरस्वती पुण्यतिथि
🌝 बुधवार, 30 अक्टूबर 2024
विक्रम संवत् 2081