जब रावण ने महाराज दशरथ और माता कौशल्या को मारना चाहा।

  • Updated: Jan 21 2024 02:43 PM
जब रावण ने महाराज दशरथ और माता कौशल्या को मारना चाहा।

जब रावण ने महाराज दशरथ और माता कौशल्या को मारना चाहा।

एक बार रावण ने ब्रह्मा जी से प्रश्न किया के मुझे ये बताएं के मेरा मरण कैसे होगा? तब ब्रह्मा जी ने रावण को बताया के अयोध्या नरेश महाराज दशरथ और कौशल नरेश की पुत्री कौशल्या से साक्षात भगवान विष्णु राम आदि चार पुत्रों के साथ प्रकट होंगे और उन्हीं में से मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्री राम के हाथों तुम्हारी मृत्यु होगी। कौशल नरेश ने ब्राह्मणों से पूछ कर आज से पांचवां दिन सुनिश्चित किया है। ये सब सुनकर रावण ने सीधा अयोध्या की और प्रस्थान किया। उस समय महाराज दशरथ अपने मंत्रियों और इष्टमित्रों सहित जलक्रीड़ा कर रहे थे। रावण वहीँ पर घमासान युद्ध करने लगा और महाराज दशरथ को पराजित कर दिया और अपने पैर के प्रहार से नांव तोड़ दी और सबको डुबो दिया। उस नदी में बाकि सब लोग डूब गए परन्तु महाराज दशरथ और उनके प्रमुख मंत्री सुमंत्र जी बच गए और टूटी हुयी नांव के टुकड़े के सहारे धीरे धीरे सरयू नदी से गंगा नदी में जा मिले और गंगा नदी से समुन्द्र में जा मिले। इतने में रावण कौशल देश जा पंहुचा और वहां भयंकर युद्ध करके कौशल्या का हरण कर लिया। कौशल्या को ले जाते समय रावण समुन्द्र में तिमिङ्गल मछली को देखा और सोचने लगा के देवता मेरे शत्रु हैं और रूप बदलकर कौशल्या को वापिस ले जाने का यत्न जरूर करेंगे। ऐसा सोच कर उसने कौशल्या को एक पिटारी में बंद करके तिमिङ्गल मछली को वो सौंप दिया और आनंदपूर्वक लंका चला गया। मछली उस पिटारी को मुँह में रख कर समुन्द्र में विचरने लगी। एक दिन वो मछली अपने शत्रु से लड़ने के लिए उस पिटारी को मुँह से निकलकर एक द्वीप पर रख कर चली गयी। उसी समय महाराज दशरथ अपने मंत्री के साथ उस द्वीप पर गए। उन्होंने उस पिटारी को खोला और कौशल्या को देखा। फिर दोनों ने एक दुसरे का सारा वृतान्त सुनाया और उसी समय मंगल बेला में महाराज दशरथ और कौशल्या का गन्धर्व विवाह हुआ। फिर वो तीनों उसी पिटारी में बंद हो गए और मछली वापिस आकर उस पिटारी को वापिस मुंह में रख कर विचरने लगी।  

इन सबके बाद एक दिन रावण ने ब्रह्मा जी को फिर बुलाया और कहा के मैंने आपको वचनों को झूठा कर डाला और महाराज दशरथ को डूबा दिया और कौशल्या को पिटारी में बंद कर दिया। ब्रह्मा जी बोले - राजा दशरथ और कौशल्या का विवाह हो चूका है। ब्रह्मा जी के वचनों को असत्य प्रमाणित करने के लिए रावण ने अपने दूतों से उस  पिटारी को मंगवाया और जब उसे खोला तो उन तीनों को उसी में पाया। रावण कौशल्या, दशरथ और मंत्री सुमंत्र को देख कर बहुत ज्यादा चकित हुआ फिर से उसने तीनों के वध हेतु अपनी तलवार उठा ली। ब्रह्मा जी ने रावण को रोकते हुए कहा के तू क्यों अनर्थ करना चाहता है अपनी मृत्यु को समय से पहले क्यों बुलाना चाहता है। तूने पिटारी में एक को रखा था ये तीन हो गए इसी प्रकार ये करोड़ों हो जायेंगे और राम भी आज ही जन्म लेंगे और तू मारा जायेगा। मेरा वचन कभी झूठा नहीं होता।

ये सब सुनकर रावण थोड़ा सा डर गया और उसने उस पिटारी को अयोध्या वापिस भिजवा दिया। इस प्रकार राजा दशरथ और कौशल्या मंत्री सहित अयोध्या वापिस आये और कौशल नरेश ने पूरे समारोह के साथ उनका विवाह किया और सम्पूर्ण कौशल देश उन्हें भेंट स्वरूप दे दिया। तभी से कौशल राज्य के राजा भी सूर्यवंशी कहलाने लगे। उसके बाद मगध नरेश की कन्या सुमित्रा के साथ विवाह किया और केकय देश की राजकुमारी कैकेयी के साथ भी विवाह किया। इसी प्रकार महाराज दशरथ सात सौ स्त्रियां और भी थी।