श्री राम वंदना।

  • Updated: Jan 23 2024 07:15 PM
श्री राम वंदना।

श्री राम वंदना।

आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, | 

लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम ||

श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे |

रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः ||

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।

नीलांबुजश्यामलकोमलांगं सीतासमारोपितवामभागम्।

पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्॥

 

! आपदाओं का हरण करने वाले, सभी सम्पदाओं को प्रदान करने वाले श्री राम को प्रणाम करता हूँ। सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर श्री राम  मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर भगवान श्री राम को बार बार प्रणाम करता हूँ। राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप , रघुनाथ, प्रभु एवं सीताजी के स्वामी की मैं वंदना करता हूं। इस लोक और सब लोक में सर्वाधिक सुन्दर तथा रणक्रीडा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणा के भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं। रघुवंश के कुलनायक प्रभु श्री रामको वंदन जिनका कोमल शरीर श्याम रंग के कमल समान है। जिनके वामांगी सीता माता है जिनके हाथमें धनुष बाण सुशोभित है।

एक श्लोकि रामायण ||

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।

पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।

श्रीराम वनवास गए, वहां उन्होने स्वर्ण मृग का वध किया। रावण ने सीताजी का हरण कर लिया, जटायु रावण के हाथों मारा गया। श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता हुई। श्रीराम ने बालि का वध किया। समुद्र पार किया। लंका का दहन किया। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया।

श्रीरामाष्टकः

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा।।

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्।।

अर्थ - हे पुरुषोत्तम राम, आप ही नरहरि, नारायण, केशव, गोविन्द, गरुड़ध्वज, गुणनिधि, दामोदर और माधव हैं और हे कृष्ण, आपही कमलापति, यदुपति, सीतापति और श्रीपति हैं अर्थात आपदोनों एक ही हैं। हे वैकुण्ठ के स्वामी, चराचर के मालिक, लक्ष्मीपति ! आप हमारी रक्षा करें, हमारा उद्धार करें।