रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

  • Updated: Sep 26 2023 07:32 PM
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

रामेश्वर का अर्थ है राम के ईश्वर | रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के दक्षिण में तमिलनाडु के रामनाथपुरम में रामेश्वरम तीर्थ में स्थित है | रामेश्वरम को चार धाम में भी मान्यता प्राप्त है | चार धाम में सम्मिलित होने के कारण इस तीर्थ का बहुत महत्व है | उत्तर में काशी की जो मान्यता है वही दक्षिण में रामेश्वरम की है |

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का स्थापत्य त्रेता युग में श्री राम के हाथों से हुआ था | त्रेता युग में श्री राम जी ने लंका पर चढाई करने से पूर्व भगवान शिव की पूजा की थी और श्री राम द्वारा बनाया गया शिवलिंग यानी राम के ईश्वर रामेश्वर की स्थापना की थी | श्री राम ने युद्ध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से बचने के लिए यहाँ आकर पूजा की और इस स्थान को काशी की तरह महत्वता देने के लिए हनुमान जी को एक शिवलिंग काशी से लाने को कहा | हनुमान जी कशी से एक और शिवलिंग लेकर आये और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास काशी के शिवलिंग की स्थापना कर दी | छोटे आकार का यही शिवलिंग रामनाथ शिवलिंग के नाम से पूजा जाता है | यही दोनों शिवलिंग मुख्य मंदिर में पूजे जाते है |

रामेश्वरम् का मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला का एक अद्भुत नमूना है। इसका प्रवेश-द्वार चालीस फीट ऊंचा है। मंदिर के अंदर सैकड़ौ विशाल खंभें है जिनको दूर से देखा जाये तो सब एक-जैसे लगते है परंतु पास जाकर देखा जाय तो मालूम होगा कि हर खंभे पर अलग-अलग कारीगरी है।

रामनाथपुरम, एक छोटी सी रियासत, ने रामेश्वरम के भव्य मंदिर के निर्माण और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंततः यह रियासत तमिलनाडु राज्य का हिस्सा बन गयी। रामनाथपुरम के राजभवन में एक प्राचीन काला पत्थर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने शाही अभिषेक समारोह के दौरान अपने राज्याभिषेक के प्रतीक के रूप में रामनाथपुरम के राजा को यह पत्थर भेंट किया था।

जो यात्री और श्रद्धालु रामेश्वरम आते हैं, वे इस काले पत्थर को देखने के लिए रामनाथपुरम अवश्य जाते हैं। रामनाथपुरम, रामेश्वरम से लगभग तीस मील की दूरी पर स्थित है।

रामेश्वरम में और भी बहुत से तीर्थ हैं जो श्रद्धालुओं के लिए दर्शनीय और वंदनीय हैं |